आचार्य मानतुंग सुरिश्वरजी द्वारा रचित भक्तामर का आलौकिक वर्णन
आचार्य मानतुंग सुरिश्वरजी द्वारा रचित भक्तामर के एक-एक स्तोत्र का हर एक शब्द किसी मंत्र से कम नही है। जिस तरह एक चुम्बक लोहे को खिंचता है उसी तरह हरपढ़ना जारी रखे…
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आचार्य मानतुंग सुरिश्वरजी द्वारा रचित भक्तामर के एक-एक स्तोत्र का हर एक शब्द किसी मंत्र से कम नही है। जिस तरह एक चुम्बक लोहे को खिंचता है उसी तरह हरपढ़ना जारी रखे…
भक्तामर स्तोत्र का जैन धर्म में बडा ही महत्व है। भक्तामर स्तोत्र की रचना वाराणसी में ‘धनदेव’ श्रेष्ठि के यहाँ जन्मे आचार्य श्रीमानतुंग सूरि द्वारा किया गया। भक्तामर स्तोत्र जैन परंपराओं में सबसे लोकप्रिय संस्कृत प्रार्थना है।पढ़ना जारी रखे…
उवसग्गहरं – यह श्री पार्श्वनाथ भगवान का स्तोत्रस्तवन है। इसकी अराधना करने से सर्व विघ्न दूर होते है। इस स्तोत्र में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति करके समकितकी याचना की गईपढ़ना जारी रखे…
आचार्य मानदेवसूरी द्वारा महामारी रोकने हेतु लघु शांति की रचना की गयी थी जिसका विवरण इस प्रकार है। नाडोल गाँव में शेठ धनेश्वर और धारिणी के यहां जन्मे बालक कापढ़ना जारी रखे…
।। अथ मौन एकादशी का जापः ।। ।। जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे अतीत 24 जिन पंच कल्याणक नाम ।।1।। 4।। श्री महायश सर्वज्ञाय नमः ।। 6।। श्री सर्वानुभूति अर्हते नमः ।। 6।।पढ़ना जारी रखे…
सामायिक आराधना लेने के लिये बाह्य शुद्धि करना जरुरी है। अतः सर्वप्रथम हाथ-पैर धोकर स्वच्छ होना और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिये। फिर शुद्ध स्थान पर भूमिको प्रमार्जन कर उच्च आसनपढ़ना जारी रखे…
बड़ी शांति ( Badi Shanti ) की आराधना करे।भो भो भव्याः। श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रिभुवन गुरो-रार्हता भक्तिभाजः। तेषां शांतिर्भवतु भवतामर्हदादि-प्रभावा, दारोग्य-श्री-धृति-मति-करी क्लेश – विंध्वंसहेतुः ॥1॥ भो भोपढ़ना जारी रखे…
इच्छामि खमासमणो !वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए,मत्थएण वंदामि। खमासमण ( Khamasman ) – इस सूत्रसे देव व गुरु को वंदन किया जाता है। देव यानि जिनेश्वर भगवान ( तीर्थंकर), गुरु यानि ऐसेपढ़ना जारी रखे…
प्रातः उठते समय धार्मिक आराधना करने हेतु आप सभी को जय-जिनेन्द्र। अक्सर लोग कहते है जैन कुल में जन्म हुआ है यह बहुत बड़ा पुण्य है। अतः हम अपने जीवनपढ़ना जारी रखे…
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