कार्यक्रम एवं क्रिया

आचार्य मानतुंग सुरिश्वरजी द्वारा रचित भक्तामर का आलौकिक वर्णन

आचार्य मानतुंग सुरिश्वरजी द्वारा रचित भक्तामर के एक-एक स्तोत्र का हर एक शब्द किसी मंत्र से कम नही है। जिस तरह एक चुम्बक लोहे को खिंचता है उसी तरह हरपढ़ना जारी रखे…

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरूजनों को वंदन

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर मैं उन सभी गुरूजनों तथा विशिष्ट व्यक्तियों को नमन करता हूँ, जिन्होनें मुझे ज्ञान का भण्डार एवं संस्कार दिया । बल तथा धन कापढ़ना जारी रखे…

भक्तामर स्तोत्र - Bhaktamar Stotra - आचार्य मानतुंगसूरि द्वारा

भक्तामर स्तोत्र का जैन धर्म में बडा ही महत्व है। भक्तामर स्तोत्र की रचना वाराणसी में ‘धनदेव’ श्रेष्ठि के यहाँ जन्मे आचार्य श्रीमानतुंग सूरि द्वारा किया गया। भक्तामर स्तोत्र जैन परंपराओं में सबसे लोकप्रिय संस्कृत प्रार्थना है।पढ़ना जारी रखे…

आचार्य राजशेखर सूरीश्वर जा म सा का 67 वां जन्मदिवस

परम पुज्य गच्छाधिपति श्री राजशेखर सूरीश्वर जी म. सा. के 67 वां जन्मदिवस दिनांक 10 जुन बुधवार जेठ वद 5 संवत 2076 को था। आप कलिकुंड तीर्थोद्धारक प. पू. आचार्यपढ़ना जारी रखे…

श्री उवसग्गहरं (उपसर्गहर ) स्तोत्र

उवसग्गहरं – यह श्री पार्श्वनाथ भगवान का स्तोत्रस्तवन है। इसकी अराधना करने से सर्व विघ्न दूर होते है। इस स्तोत्र में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति करके समकितकी याचना की गईपढ़ना जारी रखे…

Laghu Shanti Jain Times

आचार्य मानदेवसूरी द्वारा महामारी रोकने हेतु लघु शांति की रचना की गयी थी जिसका विवरण इस प्रकार है। नाडोल गाँव में शेठ धनेश्वर और धारिणी के यहां जन्मे बालक कापढ़ना जारी रखे…

Shanti Gurudev Pratistha Mahotsava Salgirah Dhwaja

शांति गुरुदेव की प्रतिष्ठा महोत्सव सालगिरह पर आज भोमियाजी भवन के प्रांगण में प्रातः पूजा कर ध्वजारोहण का कार्यक्रम संपन्न हुआ। कोविड-१९ जैसी महामारी के चलते सरकार द्वारा लॉकडाउन केपढ़ना जारी रखे…

Shantinath Bhagwan Janam Mokcha Kalyanak

शान्तिनाथ भगवान ( Lord Shantinath ) जैन धर्म के 16 वें तीर्थंकर है। आज शांतिनाथ भगवान (Shantinath Bhagwan) का जन्म एवं मोक्ष कल्याणक दिवस है। इनका जन्म वैशाख मास केपढ़ना जारी रखे…

Maun Ekadasi Ka Jaap Cover

।। अथ मौन एकादशी का जापः ।। ।। जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे अतीत 24 जिन पंच कल्याणक नाम ।।1।। 4।। श्री महायश सर्वज्ञाय नमः ।। 6।। श्री सर्वानुभूति अर्हते नमः ।। 6।।पढ़ना जारी रखे…

Samayik Mupati Padilehu Jain Times

सामायिक आराधना लेने के लिये बाह्य शुद्धि करना जरुरी है। अतः सर्वप्रथम हाथ-पैर धोकर स्वच्छ होना और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिये। फिर शुद्ध स्थान पर भूमिको प्रमार्जन कर उच्च आसनपढ़ना जारी रखे…