Vaishakha Ki Purnima Ka Mahatwa

वैशाख की पूर्णिमा का महत्व एवं बुद्ध पूर्णिमा

वैशाख की पूर्णिमा ( Vaishakha Ki Purnima ) का दिन अत्यंत ही पवित्र माना जाता है। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा ( Budh Purnima ) भी कहा जाता है। इस दिन नदी में स्नान करने का विशेष महत्व रहता है। लेकिन कोरोना वायरस क चलते लॉकडाउन के नियम को पालन करने हेतु लोगो ने अपने घरों में ही स्नान कर पूजा-अर्चना की तथा अपने घरो में दिये जलायें।

वैशाख की पूर्णिमा का महत्व जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी खास होता है, क्योंकि इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन जीने के तरीके बताए है।

भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। उनकी दी हुई शिक्षाएं आज भी लोगों के जीवन का मूल मंत्र है। गौतम बुद्ध को 35 वर्ष की आयु में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। संसार का मोह त्याग कर तपस्वी बन गए थे और परम ज्ञान की खोज में चले गए थे। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के नाम से भी जाना जाता हैं।

बुद्ध जयंती के अवसर पर भगवन बुद्ध कि महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण विहार में हर साल भ्याव मेला लगता है ।

बौद्ध धर्म में प्रार्थना करने वाली जगह को विहार कहते है। विहारों में भगवान बुद्ध कि पूर्णिंमा मनायी जाती है तथा बौद्ध भिक्षु निवास करते है। इस  दिन तम्माम देशो  से बौद्ध भिक्षु यहाँ पर आते है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं। आज भी उनकी सीख हमारे जीवन में निरंतर प्रवाह में रहा है। बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं हैं बल्कि एक पवित्र विचार भी हैं। जो प्रत्येक मानव के दिल में धड़कता है। मानवता का मार्गदर्शन करता है। बुद्ध त्याग और तपस्या की सीम हैं। बुद्ध सेवा के पर्याय हैं। बुद्ध वो हैं तो स्वयं को तापकर, खपाकर खुद को न्यौछावर करके पूरी दुनिया में आनंद फैलाने के लिए आए।