Maun Ekadasi Ka Jaap Cover

अथ मौन एकादशी का जापः

।। अथ मौन एकादशी का जापः ।।

।। जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे अतीत 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।1।।

4।। श्री महायश सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री सर्वानुभूति अर्हते नमः ।।
6।। श्री सर्वानुभूतिनाथाय नमः ।।
6।। श्री सर्वानुभूति सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री श्रीधरनाथाय नमः ।।

।। जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे वर्तमान 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।2।।

21।। श्री नमि सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री मल्लिअर्हंते नमः ।।
19।। श्री मल्लिनाथाय नमः ।।
19।। श्री मल्लिसर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री अरिनाथाय नमः ।

।। जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे अनागत 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।3।।

4।। श्री स्वयंप्रभु सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री देवश्रुत अर्हते नमः ।।
6।। श्री देवश्रुत नाथाय नमः ।।
6।। श्री देवश्रुत सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री उदयनाथनाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वभरते अतीत 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।4।।

4।। श्री अकलंक सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री शुभंकर अर्हते नमः ।।
6।। श्री शुभंकरनाथाय नमः ।।
3।। श्री शुभंकर सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री सप्तनाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वभरते वर्तमान 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।5।।

21।। श्री ब्रह्मेंद्रनाथसर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री गुणनाथ अर्हते नमः ।।
19।। श्री गुणनाथ नाथाय नमः ।।
19।। श्री गुणनाथ सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री गांगिलनाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वभरते अनागत 24 जिन
पंच
कल्याणक नाम ।।6।।

4।। श्री सांप्रति सर्वज्ञाय नमः ।।
5।। श्री मुनिनाथ नाथाय नमः ।।
6।। श्री मुनिनाथ नाथाय नमः ।।
6।। श्री मुनिनाथ सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री विशिष्ट नाथाय नमः ।।

।। पुष्कारार्द्ध पूर्वभरते अतीत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।7।।

4।। श्री सुमृदु सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री व्यक्त अर्हते नमः ।।
6।। श्री व्यक्त नाथाय नमः ।।
6।। श्री व्यक्त सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री कलाशत नाथाय नमः ।।

।। पुष्कारार्द्ध पूर्वभरते वर्तमान 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।8।।

21।। श्री अरण्यवास सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री योगनाथ अर्हते नमः ।।
19।। श्री योगनाथ नाथाय नमः ।।
19।। श्री योगनाथ सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री अयोगनाथाय नमः ।।

।। पुष्कारार्द्ध पूर्वभरते अनागत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।9।।

4।। श्री परमसर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री शुद्धार्ति अर्हते नमः ।।
6।। श्री शुद्धार्ति नाथाय नमः ।।
6।। श्री शुद्धार्ति सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री निष्केश नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमभरते अतीत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।10।।

4।। श्रीसर्वार्थसर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्रीहरिभद्र अर्हते नमः ।।
6।। श्रीहरिभद्र नाथाय नमः ।।
6।। श्रीहरिभद्र सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री मगधाधिप नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमभरते वर्तमान 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।11।।

21।। श्री प्रयच्छ सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री अक्षोभ अर्हते नमः ।।
19।। श्री अक्षोभ नाथाय नमः ।।
19।। श्री अक्षोभ सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री मल्लिसिंह नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमभरते अनागत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।12।।

4।। श्री आदिकर सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री धनद अर्हते नमः ।।
6।। श्री धनद नाथाय नमः ।।
6।। श्री धनद सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री पौषनाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पश्चिमभरते अतीत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।13।।

4।। श्री प्रलंबसर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री चारित्रनिधि अर्हते नमः ।।
6।। श्री चारित्रनिधि नाथाय नमः ।।
6।। श्री चारित्रनिधि सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री प्रशमजित नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पश्चिमभरते वर्त्तमान 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।14।।

21।। श्री स्वामी सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री विपरीत अर्हते नमः ।।
19।। श्री विपरीत नाथाय नमः ।।
19।। श्री विपरीत सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री प्रशाद नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पूर्वभरते अतीत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।15।।

4।। श्री अघटित सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री भ्रमेणेंन्द्र अर्हते नमः ।।
6।। श्री भ्रमेणेंन्द्र नाथाय नमः ।।
6।। श्री भ्रमेणेंन्द्र सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री रिषभचन्द्र नाथाय नमः ।।

।। जंबूद्वीपे ऐरवतेक्षेत्रे अनागत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।16।।

4।। श्री दयांतसर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री अभिनन्दन अर्हते नमः ।।
6।। श्री अभिनन्दन नाथाय नमः ।।
6।। श्री अभिनन्दन सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री रत्नेश नाथाय नमः ।।

।। जंबूद्वीपे ऐरवतेक्षेत्रे अनागत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।17।।

21।। श्री शामकोष्ट सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री मरुदेव अर्हते नमः ।।
19।। श्री मरुदेव नाथाय नमः ।।
19।। श्री मरुदेव सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री अतिपार्श्वनाथाय नमः ।।

।। जंबूद्वीपे ऐरवतेक्षेत्रे वर्त्तमान 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।18।।

4।। श्री नन्दिषेण सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री व्रतधर अर्हते नमः ।।
6।। श्री व्रतधर नाथाय नमः ।।
6।। श्री व्रतधर सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री निर्वाण नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वऐरवते अतीत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।19।।

4।। श्री सौंदर्य सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री त्रिविक्रम अर्हते नमः ।।
6।। श्री त्रिविक्रम नाथाय नमः ।।
6।। श्री त्रिविक्रम सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री नारसिंह नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वऐरवते वर्त्तमान 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।20।।

21।। श्री खेमन्त सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री सन्तोषित अर्हते नमः ।।
19।। श्री सन्तोषित नाथाय नमः ।।
19।। श्री सन्तोषित सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री काम नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पूर्वऐरवते अनागत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।21।।

4।। श्री मुनिनाथ सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। चन्द्रदाह अर्हते नमः ।।
6।। चन्द्रदाह नाथाय नमः ।।
6।। चन्द्रदाह सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री दिलादित्य नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पूर्वऐरवते अतीत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।22।।

4।। श्री अष्टाहिक सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री वणिक अर्हते नमः ।।
6।। श्री वणिक नाथाय नमः ।।
6।। श्री वणिक सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री उदयज्ञान नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पूर्वऐरवते वर्त्तमान 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।23।।

21।। श्री तमोनिकन्दन सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री सायकाक्ष अर्हते नमः ।।
19।। श्री सायकाक्ष नाथाय नमः ।।
19।। श्री सायकाक्ष सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री खेमन्त नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पूर्वऐरवते अनागत 24 जिन
पंच कल्याणक नाम ।।24।।

4।। श्री निर्वाण सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री रविराज अर्हते नमः ।।
6।। श्री रविराज नाथाय नमः ।।
6।। श्री रविराज सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री प्रथमनाथ नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमऐरवते अतीत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।25।।

4।। श्री पुरूरवा सर्वज्ञाय नमः ।।
3।। श्री अवबोध अर्हते नमः ।।
3।। श्री अवबोध नाथाय नमः ।।
3।। श्री अवबोध सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री विक्रमेन्द्र नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमऐरवते वर्त्तमान 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।26।।

21।। श्री सुशान्त सर्वज्ञाय नमः ।।
19।। श्री हर अर्हते नमः ।।
19।। श्री हर नाथाय नमः ।।
19।। श्री हर सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री नन्दकेश नाथाय नमः ।।

।। धातकीखंडे पश्चिमऐरवते अनागत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।27।।

4।। श्री महामृगेन्द्र सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री अशौचित अर्हते नमः ।।
6।। श्री अशौचित नाथाय नमः ।।
6।। श्री अशौचित सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री धर्मेन्द्र नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पश्चिमऐरवते अतीत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।28।।

4।। श्री अश्ववृन्द सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री कुटिलक अर्हते नमः ।।
6।। श्री कुटिलक नाथाय नमः ।।
6।। श्री कुटिलक सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री वर्द्धमान नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पश्चिमऐरवते वर्त्तमान24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।29।।

21।। श्री नन्दिक् वर्धमानाय नमः ।।
19।। श्री धर्मचन्द्र अर्हते नमः ।।
19।। श्री धर्मचन्द्र नाथाय नमः ।।
19।। श्री धर्मचन्द्र सर्वज्ञाय नमः ।।
18।। श्री विवेक नाथाय नमः ।।

।। पुष्करार्द्ध पश्चिमऐरवते अनागत 24
जिन पंच कल्याणक नाम ।।30।।

4।। श्री कलाप सर्वज्ञाय नमः ।।
6।। श्री विसोम अर्हते नमः ।।
6।। श्री विसोम नाथाय नमः ।।
6।। श्री विसोम सर्वज्ञाय नमः ।।
7।। श्री आरण नाथाय नमः ।।

।। इति श्री मौन एकादशी गुणनौ सम्पूर्णम् ।।

मौन एकादशी चैत्यवंदन

शासन नायक वीरजी, प्रभु केवल पायो
संघ चतुर्विध स्थापवा, महसेन वन आयो
माधव सुद एकादशी, सोमिल द्विज यज्ञ
इन्द्रभुति आदे मल्यां, एकादश विज्ञ
एकादश से चउगुणो, तेहनो परिवार
वेद अर्थ अवलो करे, मन अभिमान आपार
जीवादिक संशय हरिये, एकादश गणधर
वीरे थापीया वंदीये, जिन शासन जयकार
मल्लि जन्म अर मल्लिपास, व्रत चरण विलासी
ऋृषभ अजित सुमति नामे, मल्ली धन धाती विनाशी
पद्मप्रभ शिववास पास, भव भयना तोड़ी
एकादशी दिन आयणी, ऋृद्धि सधली जोड़ी
दश क्षैत्रे त्रिहु कालना, त्रण से कल्याण
वर्ष अग्यार एकादशी, आराधो वरनाण
अग्यार अंग लखावीये, एकादश पांढा
पूंजनी ढवणी वीटणी, मशी कागल कांठा
अग्यार अव्रत छंडवाअे, वहो पडिमा अग्यार
क्षमा विजय जिन शासने, सकल करो अवतार

प्रथम ढाल

धुर प्रणमु जिन महरिसि, समंरू सरसती उल्लासी
धसमसी भुजमती जिन, गुण गायवा अे
हरि पूछे जिन उपदिशि, पारव मौन एकादशी
मन वसी वह निशि, ते भवि लोकने अे
तरिया भव जल तरसी, एम परव पौषध फरशी
मन हरसी अवसर जे आराहशी अे
उजमणे जो धारशी, वस्तु इग्यार इग्यारशी
वारशी ते दुर्गतिना बारणा अे
अे दिन अतिही सोहामणो, दोढसो कल्याणक तणो
मन घणो गुवनुं गणता, सुख होये अे

दूसरी ढाल

पाडे पाडे त्रण चौवीशी, द्वीप क्षेत्र जिन नामे,
पाडे पाडे पांच कल्याणक, धारो शुभ परिणामें
जिनवर ध्याइये रे, मोक्ष मार्ग ना दाताए
सर्वज्ञाय नमो एम पहेले, नमो अरिहंत अे बिजो
त्रीजे नमों नाथाय ते चौथे, सर्वज्ञाय कहीजे, जिनवर
पांचमे नमो नाथाय कहीजे, पाडे पाडे जाणो
तत्र नाम तीर्थंकर केरा, गुणणां पांच वरवाओ
त्रण चौवीशी एक एक ढाले, त्रण नाम जिन कहीशु
क्रोड तपे करी जे फल लहीए, ते जिन भक्ते लईशु ..
काम सर्वे  सीजे जिन नामे, सफल होए निज जिहाँ
जे जीभे जिन गुण समरतां, सफव जन्म ते दिहा .जिन

स्तुति

निरुपम नेमी जिनेश्वर भाखे, एकादशी अभिरामजी,
एकम ने करी जेह आराधे, ते पामे शिव ठामजी,
तेहनी सुणी माधव पूछे, मन धरी अति आनंदाजी,
एकादशी नो एहवो महिमा, सांभली कहो जिणंदाजी ।1।

एकाशत अधिक पचास प्रमाण, कल्याण सवि जिननाजी,
तेह भत्या ते दिन आराधो, पाप छड़ो सवि मननाजी,
पोसह करीये मौन आदरीये, परिहरीये, अभिमानजी,
ते दिन माया समता तजीअे, भजिए श्री भगवानजी ।2।

परभाते पड़िक्कमणु करीने, पोसह पण तिहां पारीजी,
देव जुहारु गुरू ने वांदु, देशना नीसुबु वाणीजी,
सामी जमाड़ु कर्म खपावु, उजमणु घरे मांडुजी,
अशनादिक गुरू ने वघेराणी, पाखुं करू पछी वारुंजी ।3।

बावीश मां जिन एणी परे बोले, सुण तुं कृष्ण नरिंदाजी
अेम एकादशी जेह आराधे, ते पामे सुख वृंदाजी,
देवी अंबा पुण्य पसाये, नेमीध्वर हित कारजी,
पंडित हरख विजय तस शिष्य, मान विजय जयकारजी ।4। 

मौन एकादशी चैत्यवंदन

सर्व अर्थ साधन करे, मौन महागुण धाम
श्री मल्लि प्रभु धारते, भावे करूं प्रणाम ।।1।।

मिगसर सुद एकादशी, मौन महाव्रत धार
अर मल्लि नमिनाथ को, वन्दूं बारम्बार ।।2।।

श्री अर जनि व्रत धारते, मल्लि जन्म व्रत ज्ञान
श्री नमि जन केवल लहे, जय जय जय भगवान ।।3।।

भरत ऐरवत क्षेत्र दश, तीन काल परिणाम
कल्याणक यों डेढ़ सौं, सुख सागर सुख खाण ।।4।।

जिन हरि पूजित तीर्थपति, कल्याणक दिन आज
ध्याऊं धन एकादशी, पाऊं अविचल राज ।।5।।

(2)

च्वयन जन्म दीक्षा विमल, केवल वर निर्वाण
कल्याणक प्रभु आपके, जगत जीव सुख ठाण ।।1।।

आराधूं मैं नाथ नित, साधूं निज पद भोग
शक्ति दीजे होय ज्यों, भव दुःख भाव वियोग ।।2।।

जिन हरि पूज्य प्रभो सदा, करूं यही अरदास
दया बुद्धि दातार गुण, करो सुपुण्य प्रकाश ।।3।।

इग्यारस का स्तवन

समवसरण बैठा भगवंत धरम प्रकाशो श्री अरिहन्त
बारे परषदा बैठी जुड़ी, मिगसिर सुदी इग्यारस बड़ी ।।स्थायी।।

मल्लिनाथनां तीन कल्याण, जन्म दीक्षा ने केवल ज्ञान
          अर दीक्षा लीधी रूवड़ी ..।।1।।

नमि ने उपन्युं केवलज्ञान, पाँच कल्याणक अति परधान।
          ए तिथिनी महिमा एवड़ी ..।।2।।

पाँच भरत ऐरवत इमहीज, पाँच कल्याण हुवे तिमहीज।
          पच्चास नी संख्या परगड़ी ..।।3।।

अतीत अनागत गिणतां एम, डेढ़सौ कल्याणक थाये तेम।
          कुण तिथि छे ए तिथि जेवड़ी ..।।4।।

अनंत चौबीशी इण परे गिणो, लाभ अनंत उपवास तणों।
         ए तिथि सहु तिथि शिर राखड़ी ..।।5।।

मौन पणे रह्या श्री मल्लिनाथ, एक दिवस संयम व्रत साथ।
          मौन तणी परिवृति इम पड़ी ..।।6।।

अठ पोहरी पौसो लीजिये, चौविहार विधिंशु कीजिए
          पण परमाद न कीजे घड़ी ..।।7।।

बरस इग्यारे कीजे उपवास, जाव जीव पण अधिक उल्लास।
          ए तिथि मोक्ष तणी पावड़ी ..।।8।।

उजमणुं कीजे श्रीकार, ज्ञान नां उपगरण इग्यार-इग्यार
          करो काउसग्ग गुरु पाये पड़ी ..।।9।।

देहरे स्नात्र करीजे वली, पौथी पूजी जे मनरली।
          मुगति पुरी कीजे ढूकड़ी ..।।10।।

मौन इग्यारस महोटुं पर्व, आराध्यां सुख लहिये सर्व।
          व्रत पचक्खाण करो आंखड़ी ..।।11।।

जेसल सोल इक्यासी समे, कीधुं स्तवन सहु मनगमे।
          समय सुन्दर कहे करो ध्यावड़ी ..।।12।

ग्यारस की स्तुति

अरनाथ जिनेश्वर, दीक्षा नमि जिन ज्ञान
श्री मल्लि जन्म व्रत, केवल ज्ञान प्रधान।
इग्यारस मिगसर, सुदि उत्तम अवधार
ए पंच कल्याणक, समरीजे जयकार ।।1।।

इग्यारे अनुपम, एक अधिक गुणधार
इग्यारे बारे, प्रतिमा देशक धार।
इग्यारे दुगुणा, दोय अधिक जिनराय
मन शुद्धे सेव्यां, सब संकट मिट जाय ।।2।।

जिहाँ बरस इग्यारे, कीजे व्रत उपवास
वलि गुणनों गुणिये, विधि सेती सुविलास।
जिन आगम वाणी, जाणी जगत प्रधान
एक चित्त आराधो, साधों सिद्ध विधान ।।3।।

सुर असुर भुवण वण, सम्यक दर्शन वंत
जिनचन्द्र सुसेवक, वैचावच्च करंत।
श्री संघ सकल में, आराधक बहु जाण
जिन शासन देवी, देव करो कल्याण ।।4।। 

मौन एकादशी सज्जाय

आज म्हारे एकादशी रे, नणदल मौन धरी मुख रहिये।
पूछयाने पडूतर पाछो, केहने कांई न कहिये रे ।।आज ।।1

मारो नणदोई तुझने वालो, मुझने तारो वीरो।
घूमाडानो वाचका भरता, हाथ न आव्यो हीरो ।।आज।।2

घर नो धंधो घणो कर्यो, पण एक न आव्यो आडो।
परभव जातां पालव झाले, ते मुझने देखाड़ो ।।आज।।3

मागसर शुद इग्यारस मोटी, नेवुं जिनने निरखो।
दोढ़ से कल्याणक मोटा, पोथी जोईने हरखो ।।आज।।4

सुव्रत सेठ थयो शुद्ध श्रावक, मौनधरी मुख रहियो।
पावकपुर आखो परजाल्यो, एननो कांई न दइयो ।।आज।।5

आठ पहोर पौषध ते करिये, ध्यान प्रभुनुं धरिये।
मन वच काया जो वश करीये, तो भवसायर तरिये ।।आज।।6

इयासमिति भाषा जो न बोले, आडु अवलु पेरवे।
पडिक्कमणां सुं प्रेम न राखे, कहो केम लागे लेखे ।।आज।।7

कर उपरतो माला फिरती, जीव फरे वनमांही।
चितडुं तो चिंहु दिशिये डोले, इण भजने सुख नाही ।।आज।।8

पौषधशाले भेगा थईने, चार कथा वली सांधे।
कांईक पाप मिटावण आवे, बार गुणां वली बांधे  ।।आज।।9

एक उठंती आलस मोड़े, बीजी उंधे बैटी।
नदियोमांथी कइंक निकलती, जई दरियामां पेठी ।।आज।।10

आई बाई नणंद भोजाई, नानी मोटी बहुंने।
सासु ससरो मां ने मासी, सिखावण छे सहूने  ।।आज।।11

उदयरतन वाचक उपदेशे, जे नरनारी रहेशे।
पौषधमांही प्रेमधरी ने, अविचल लीला लहेंशे  ।।आज।।12

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