सेवा केन्द्र - कलकत्ता द्वारा संगम - ऑल-फेथ क्लाईमेट चेंज कान्फ्रेन्स 2019 का आयोजन

सेवा केन्द्र – कलकत्ता द्वारा संगम – ऑल-फेथ क्लाईमेट चेंज कान्फ्रेन्स 2019 का आयोजन

सेवा केन्द्र – कलकत्ता द्वारा कार्यक्रम संगम – ऑल-फेथ क्लाईमेट चेंज कान्फ्रेन्स 2019 का आयोजन दिनांक 14-12-2019 को टेंगरा स्थित मदर टेरेसा हॉल में विभिन्न समुदायो के वरिष्ठ एवं सम्मानित लोगो के नेतृत्व में किया गया ।

इस कार्यक्रम में सभी धर्मो से जुड़े लोगो को आमंत्रित किया गया तथा विश्व के मानचित्र पर उभरने वाले मुद्दो में प्रमुख मुद्दा पर्यावरण संरक्षण की चिन्ता पर चिन्तन किया गया।

जैनो की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए अमितजी जैन शास्त्री ने कहा कि विकास के नाम पर मनुष्य जिस तीव्र गति से दिन-रात प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, उससे प्रतीत होता है कि वह दिन दूर नहीं जब यही विकास मानव जाति के ह्रास का एक बहुत बड़ा कारण बन जायेगा।

यह चर्चा में भाग लेते हुए प्रदीप जी कोचर – संयोजक-प. बंगाल, ऑल इंडिया जैन मायनोरिटी फेडरेसन की ओर से अपनी बात रखते हुए कहा कि यह मुद्दा हम सभी को मिलकर सामुहिक रूप से लोगो के बीच विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पहुंचाना चाहिये, ताकि लोगो के दिलो में यह बात उतारी जा सके । हम सभी को सामुहिक रूप से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण में अपना-अपना सहयोग प्रदान करना चाहिये। जैन संत – मुनि श्री मणिकुमार जी तथा अशोक जी तुरखिया ( मायनोरिटी सदस्य – पश्चिम बंगाल सरकार) भी मौजुद थे ।

सेवा केन्द्र - कलकत्ता द्वारा संगम - ऑल-फेथ क्लाईमेट चेंज कान्फ्रेन्स 2019 का आयोजन

जैन धर्म कहता है कि बेवजह पेड़-पौधों, मनुष्यों, पशुओं को मत काटो, मत मारो क्योंकि उनमें जीव हैं और जीवों की हिंसा करने से, वध करने से पाप का बन्ध होता है। जैन दर्शन के साथ-साथ अन्य दर्शन भी इस बात को स्वीकार करता है कि मनुष्य जैसा दूसरों के साथ करेगा वैसा ही उसके साथ भी घटेगा एवं उसको भी वैसा ही फल मिलेगा। अतः अहिंसाप्रधान देश में जीवों की हत्या न करें क्योंकि इससे पाप के बन्ध के साथ-साथ पर्यावरण असन्तुलित होता है ।

इसी प्रकार वनस्पति पेड़-पौधों को भी न काटें क्योंकि पेड़ों को काटने से बाढ़ की समस्या, वर्षा की कमी एवं तापमान में विभिन्नता आदि। हक्सले महोदय ने कहा है कि किसी पशु-पक्षी की मृत्यु का दृश्य देखकर हम लोग मर्माहत हो जाते हैं क्योंकि उसकी यन्त्रणा को स्वयं अपनी आंखों से देखते हैं किन्तु वनस्पतियों के जीवन-मरण को देखने के लिए तो हमारी दृष्टि लाखों गुनी तेज होनी चाहिए। सभी समुदायो से जो एक बात उभर कर आयी वह साफ है कि हमें अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यो का रूख करना चाहियें । आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी इस मुहिम के हिस्सेदार बने ताकि आने वाले समय में हम स्वस्थ वातावरण का अनुभव कर सकें।