भारतवर्ष में जैन धर्मानुरागियो द्वारा हजारो की संख्या में लोग वर्षीतप की तपस्या करते है। यह तपस्य़ा करते समय वर्षभर तक एक दिन उपवास और एक दिन इकासना करना पड़ता है।
अक्षय तृतीया के दिन लोग बड़े हर्षोउल्लास के साथ विभिन्न धार्मिक स्थानो पर सामुहिक रूप से गुरूभगवंतो की निश्रा में इसका पारणा करते है। तपस्वियों द्वारा भगवान की पूजा अर्चना करने के पश्चात उनके सुपौत्र या अन्य परिजनो के द्वारा गन्ने का रस पिलाकर पारणा करवाया जाता है।
लेकिन कोरोनावायरस की महामारी की वजह से सरकार के द्वारा जारी नियमों का ध्यान रखा गया। गुरूभगंवतो के विशेष आग्रह पर, इस बार वैशाख सूद ३ रविवार दिनांक २६ अप्रैल २०२० को १३ महीने के महान तप वर्षीतप का पारणा सभी तपस्वियों ने अपने घर पर रहकर ही किया। जहां सम्भव हो सका समाजसेवीयों द्वारा गन्ने के रस की व्यवस्था तपस्वियों के लिए की गई लेकिन जहां सम्भव नहीं था वहां इसका पारणा गुण के पानी से करवाया गया।
सभी गुरूभगवंतो ने विभिन्न माध्यमों से तपस्वियों को अपना आशीर्वचन सुनाया तथा परिजनों एवं श्री संघ ने सभी तपस्वियों का अनुमोदन किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी एक विडियो के माध्यम से सभी तपस्वियों का अनुमोदन किया।
जैन शिक्षित समुदाय है अतः कानून के दायरे में रहकर कोरोना की चैन तोड़ने के लिए इस महान पर्व को भी बड़े ही साधारण तरिके से घर पर रहकर ही मनाया गया ताकि सरकार के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह हो सके।